→ आज हम उनके बारे में बात करेंगे जिन्होंने बिना कुछ बोले बिना कुछ कहे अपने भावों को प्रकट किया उनका नाम चार्ली चापलिन था
इनकी जो माताजी हैं वह जब स्टेज पर परफॉर्मेंस कर रही थी | तो परफॉर्मेंस के दौरान उनकी जो आवाज थी वो चली गयी थी | तो उस समय चार्ली चापलिन जब 4 से 5 वर्ष के थे तो वहां पर जो ऑडियंस थी | उन्होंने उनकी मां पर जूते चप्पल फेकना चालू कर दिया | यह देखकर चार्ली चापलिन ने वहां स्टेज पर जाकर परफॉर्मेंस करना शुरू कर दिया
उन्होंने 4 साल की उम्र से ही मंच पर प्रदर्शन करना शुरु कर दिया था | ये अपनी बातोँ को अपने मुख से नही बल्कि अपने भावो को प्रकट करके किया करते थे | इन से सम्बंधित एक बात है | की जहाँ मंच पर प्रदर्शन किया जाता था | वहाँ जाकर इन्होने काम माँगा था | की मुझे कुछ भी कोई भी काम दे दो वो में कर लूँगा | पर वो इनको वहाँ से भगा देते थे | तो ये वहाँ पर उनके घर के शीशे के काँच को पत्थर से तोड़ कर भाग जाते थे | कई बार उनको जेल भी जाना पड़ा | ये 200 बार जेल गये थे फिर आखिर में उनसे पूछा गया तो तुमे मेरे घर का काँच क्यों तोड़ कर चले जते हो तो उन्होंने बताया की मुझे मेरे पेट की लिए खाना और रहने की लिए सर पर छत की जरुरत है | और में ये दोनों जरुरत वह जेल में जाकर पूरी कर लेता हूँ | ये सब सुनकर और चार्ली चापलिन से परेशान होकर उस इन्सान ने इनको काम दे दिया |हमको एस सब से ये सिख मलती की की उनको पता था की मेरी जो जरुरत है वो कैसे पूरी होगी और उसके लिए मुझे के करना चाहिये | जिससे जो मेरी जरुरत हैं | वो पूरी हो सके |
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